कहते हैं प्यार कभी नही मरता है
मर कर भी जिन्दा रहता है
शायद सही ही कहते है
इसलिए ये एहसास आज भी होता है
कमबख्त क्यूँ जिन्दा है ये
मैंने तो कभी नही चाहा
क्यूँ मरता नही ये एहसास
दूर जाके फिर क्यूँ आता है ये पास
हसरते अधूरी रह गयी
अरमानों की बलि चढ़ गई
जाते हुए उन्हें बस देखते रहे
हाथ तो बढाया पर रोक न सके
कहती थी खुदा की यही मर्ज़ी है
खुदा ने भी दगा किया मेरे साथ
अपनी मर्ज़ी उन्हें बता दी और
मेरी मर्ज़ी कही दफना दी
तड़पने का अंदाज़ भी अब बदल रहा है
चेहरे पर हसीं पर दिल जल रहा है
वो लम्हे भुलाए न भूलती है
आगे निकल गए हैं हम ,
पर वो यादें पीछा नही छोड़ती है
Saturday, December 20, 2008
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