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Wednesday, December 31, 2008

भयविहीन रामलाल ताऊ चुरट सुलगाते हुए ...

सबसे पहले नव वर्ष की आप लोगो को हार्दिक शुभकामनाये | नए साल का खुले एवं प्रसन मन से स्वागत कीजिये | नया साल आपको ढेर सारी खुशिया दे.....
अब ना चाहते हुए भी नए साल में कुछ जरुरी काम अभी से दिखने लगे हैं....

पहला तो ताऊ को खोजना है.....हाँ भाई अब ये बहुत जरुरी हो गया की हम ताऊ के बारे पता लगाए की आख़िर ये जनाब है कौन?

दूसरा हमें ऊब से बचकर भय विहीन समाज की रचना करनी है...और साथ में चुरट सुलगाना तो बिल्कुल नही भूलना है...

तीसरा रामलाल की तरह ना बनते हुए हमें अपने लिए एक ऐसा आशियाना बनाना है जहाँ कोई प्यासा ना रहे ..जहाँ हमें किसी आतंक का सामना ना करना पड़े....जहाँ सब खुश हो ......

नए साल में हमें नई कसमे भी खानी है , वो कसमे हमें अपने आपको को सुधारने के लिए होने चाहिए ना की नेता ,अधिकारी और क़ानून के लिए | ननरी,पनरी के चक्कर में ना पड़ते हुए हमें कुछ लम्हे नव वर्ष को कैसे आनंददित , एअम खुशहाल बनाया जाए के लिए निकालने चाहिए.....

कभी कभी मूर्ख एवं भुक्कड़ बने रहने में भी फायदा होता है....नए साल में कभी ये भी बन कर देखियेगा....कुछ सवालातें तो कभी पीछा नही छोड़ती , उनको भूलते हुए हमें नए साल का अभिनन्दन करना चाहिए.....

बिगड़ते रिश्ते को संभ्हालना , नए रिश्ते को बनाना , और रिश्ते को अच्छे से निभाना ये हमारा लक्ष्य होना चाहिए ...चलिए एक बार फिर आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

हम सुधेरेंगे जग सुधरेगा .......

Wednesday, December 24, 2008

ताऊ ताऊ ताऊ ताऊ ...और केवल ताऊ

कल मैंने ताऊ का पोस्ट पढ़ा...पढ़ कर मज़ा आ गया...बस उसी वक्त मन में कुछ शरारत करने की इच्छा जाग उठी और मैंने आव् देखा न ताव बस लिख दी एक कविता..अब कविता है या नही ये तो आप लोग फ़ैसला करेंगे ..मैंने तो बस लिख दिया .....ताऊ अगर मैंने किसी भी तरह से या इस कविता के माध्यम से आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाया हो तो हमें आप हमारी पहली गलती मान कर माफ़ कर देंगे .....
पहले सोचा की इस कविता को ताऊ के पोस्ट पर ही जाके टिपियाया जाए ....फिर मन में एक लालच हो उठी...सोचा इसे अपने ब्लॉग पर ही प्रकाशित करता हूँ...कुछ हिट्स शायद मिल जाए...और कुछ अच्छे कमेंट्स भी...
नया नया हूँ इस ब्लॉग की दुनिया में इसलिए ऐसी बातें मन में आना स्वाभाविक है.......
ताऊ आपसे फिर अनुरोध है की इसे अन्यथा ना ले..और गलती के लिए माफ़ करें....



एक था ताऊ बड़ा होशियार
शरारत करने में हरदम तैयार
सबको बुद्धू बनाता था वो
अच्छे मजे उडाता था वो,

एक बार एक मास्टर आया
उसने ताऊ को सबक सिखाया
था वो मास्टर बड़ा चालाक
सर पे टोपी हाथ में डंडा
हरदम लेता ताऊ की क्लास ,

अब तो ताऊ बड़ा घबराया
खुराफाती दिमाग को उसने जगाया
कुछ उसने करने की ठानी
अब तो मास्टर को याद आनी थे नानी ,


ताऊ ने चली ऐसी चाल
हो गया मास्टर का हाल बेहाल
बाप बाप कर के वो भागा
फिर से ताऊ का परचम लहराया