Tuesday, December 23, 2008

अबे कितना पिएगा ?


मैंने पीना शुरू ही किया था की वो आ गया ....
अबे फिर से पीने बैठ गया .?
और क्या करूँ यार ?
क्यों कोई काम नही है तेरे को ?
वही तो कर रहा हूँ .

मर जायेगा तू पीते पीते .वही तो चाहता हूँ ...
क्यूँ पीता है इतना ? किस बात का गम है तुझे ,सब कुछ तो है तेरे पास .फिर क्यूँ ?
इसी बात का तो गम है यार .मेरे पास सब कुछ जो है ....
मैं समझा नही ..
अच्छा तू बैठ तो सही ..वो बैठ गया ...

अच्छा वो कुनाल को देखो .हाँ पता है ..उसकी गर्लफ्रेंड ने उसे छोड़ दिया है इसलिए पी रहा है डरपोक साला .....

और वो नरेन्द्र को देख रहा है हाँ हाँ पता है उसकी जॉब चली गई है , यार बहुत बुरा हुआ है उसके साथ इसलिए शायद पी रहा होगा ....

लेकिन तू कहना क्या चाहता है .तेरी तो गर्लफ्रेंड भी है और मस्त सा जॉब भी है ....


अरे पूरी बात तो सुन ले ..अच्छा वो नारायण को देखो हाँ हाँ उसे भी जानता हूँ ..बेचारे की शादी नही हो रही है शायद उसी का गम होगा ...

अच्छा उन अंकल को जानते हो ..हाँ बे ..ये तो अपने शर्मा जी है .बेचारे की बीवी उसे बहुत पीटती है ...

अच्छा छोड़ इन लोगो को...वो देख सूट बूट में कार्नर में जो बैठा हुआ है जानता है उसे ...वो कौन है ? अच्छा अच्छा ये वही तो नही, जिसकी बेटी बहुत सुंदर थी .अपने गली में दाहिनी तरफ़ से चौथा मकान . ..हाँ बे वही है ...तेरी याददाश्त तो मस्त है .अरे यार कैसे भूल सकता हूँ उसको ...बहुत सुंदर थी वो यार.. हाँ हाँ पता है .. तू उसपर मरा करता था.. लट्टू था तू उसपर...और तेरी वजह से कितनी बार मैं मार खाते खाते बचा था..छोड़ न यार..शर्मिंदा मत कर...
अपने कॉलेज के किसी लड़के के साथ भाग कर उसने शादी कर ली थी .क्या ? सही में ? हाँ बे ....

कुछ देर के लिए दोनों चुप . ....फिर उसने भी अपने लिए ड्रिंक मंगाया...

अब पूछने की बारी मेरी थी .तू क्यूँ पी रहा है ? तेरा भी तो मस्त जॉब है, गर्लफ्रेंड है ....फिर क्यूँ ?

नही यार बस मूड ऑफ़ हो गया ....क्या ? मूड ऑफ़ हो गया ?वो लड़की भाग गई इसलिए ?
तेरी तो कभी उससे बात तक नही हुई थे ?फिर क्यूँ तेरा मूड ऑफ़ हो गया ?वो तो तुझे जानती तक नही होगी ?
बस यार कुछ अच्छा नही लगा सुनके ...

ऊपर कही गई बातो को आप व्यंग्य में ले सकते हैं ....पर क्या हम सच में किसी के दुःख से दुखी होते हैं ,शायद नही ...हमें हमदर्दी तो होती है पर शायद दुःख नही होता ...और यूँ कहे की हम अपने दुखों में ही इतने उलझे रहते है की दुसरे का दुःख हमारी समझ में नही आता है ...

क्या कभी आपने सोचा है की हम किस ओर बढे जा रहे हैं ..ये दुनिया किधर जा रही है ...लोगो के पास एक दूसरे के लिए वक्त नही है ...एक अजीब सी मृगतृष्णा चारो ओर फैली हुए है ...लोग भाग रहे हैं ...दौड़ रहे हैं ...पर क्या हासिल कर रहे है... ...क्या कोई खुश है ?