Thursday, January 22, 2009

मैं बेचारा , काम के बोझ तले मारा ..



उफ्फ ये काम , काम और केवल काम | आजकल हमारी वयस्तता का आलम मत पूछिए | नया प्रोजेक्ट , नई टेक्नोलॉजी , सारी जिम्मेवारी हम पर मतलब अमित बाबू की तो बाट लगी हुई है | सही में बहुत बुरा हाल है | किसी तरह कुछ समय निकाल पाता हूँ ताकि कुछ ब्लॉग पढ़ सकूँ और टिप्पिन्नी भी कर सकूँ | आजकल ब्लॉग्गिंग में सक्रियता बिल्कुल आधी हो गई है | जब ब्लॉग लिखना शुरू किया था , जयादा नही दिसम्बर-२००८ में तब एक प्रोजेक्ट ख़तम हुआ था और उसके बाद कोई ख़ास काम नही था | बस बहुत दिनों से अपनी अंतर्मन की ख्वाइश को अमलीजामा पहना दिया था | डर तब भी लगा था की मैं सक्रिय रह पाऊंगा की नही | खैर कुछ दिन ये काम का बोझ रहेगा | तब तक शायद मैं उतना सक्रिय ना रह पाऊं | पर हाँ हरेक मंगलवार को आपको एक पहेली जरुर मिलेगी यहाँ | और समय निकाल कर मैं नए पोस्ट भी लिखता रहूँगा |

अभी तो इस सप्ताह का पुरा कार्यक्रम निश्चित हो गया है | शुक्रवार को हमारे कॉलेज की एक मित्र की शादी है | शादी के लिए हमें वेल्लोर जाना है | वेल्लोर चेन्नई से नही कुछ तो ३ घंटे का रास्ता है | फिर शादी के बाद हम बंगलोर हो लेंगे | २६ तक बंगलोर में अपना डेरा जमेगा | फिर वापस "बैक टू पवेलियन "| बंगलोर का कार्यक्रम बंगलोर में तय किया जायेगा | २६ जनवरी की छुट्टी सोमवार को हो जाने के कारण काफ़ी लंबा सप्ताहंत हो जाता है | इसलिए लगभग सब लोग विशेषकर आईटी कंपनी के लोग कहीं न कहीं घूमने निकल जाते हैं | इतनी जायदा भीड़ हो जाती ई की मत पूछिए | आज सुबह सुबह ८ बजे से रेलवे टिकेट की बुकिंग के लिए कोशिश कर रहा था | लेकिन क्या मजाल था की साईट खुल जाएँ | १ घंटे की जदोजेहत के बाद अंत में मैंने हथियार डाल दिए|

बड़ा दुःख होता है ऐसा देखकर | अब भी हमारी सरकार वही पुराना ढर्रा अपना रही है | अब भी वही पुरानी टेक्नोलॉजी अपनाए हुई है | रेलवे जिसका उपयोग भारत का हर आदमी करता है , जो की भारत की आवागमन सुविधा की आन है कम से कम उसे तो आप नए टेक्नोलॉजी से लैश कीजिये | कुछ यूजर क्या बढ जाते हैं रेलवे का सर्वर काम करना बंद कर देता है | लालू जी जापान से आए और बोले की बुल्लेट ट्रेन अब इंडिया में भी चलेगी | इससे अच्छी बात क्या हो सकती है | ३००-४०० किलो मीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से चलने वाला ट्रेन , सही में दूरियां नजदीकियां बन जायेंगी | तब तो साप्ताहांत में हम अपने घर भी जा सकते हैं | वाह लालू जी , लेकिन सिर्फ़ कहे मत इसे अमलीजामा भी पहनाये | और उससे भी जायदा जरुरी है infrastructure को ठीक करने की | जो है कम से कम उसे इस लायक तो बनाइये की वो अच्छे से ,ढंग से काम कर सके |

उम्मीद पर ही दुनिया टिकी हुई है और हम भी यही चाहते हैं की भारत लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे | गणतंत्र दिवस पर आप सबों को ढेर सारी शुभकामनाएं |