फिर कुछ इस दिल को बेक़रारी है,
सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है,
फिर जिगर खोदने लगा नाख़ून,
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लालाकारी है,
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं,
फिर वही ज़िंदगी हमारी है,
बेख़ुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’,
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है,
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
चलिए आप लोग भी ये गाना सुनिए....और जरुर बताये की आपको कैसा लगा ये गाना....
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