Monday, February 16, 2009

दर्द भी बढ़ता है सुनाने से ...


पूछ लो तुम भी इस ज़माने से ,
प्यार छुपता नहीं छुपाने से

प्यार दिल में है तो लाओ ज़बान पे ,
आग बढती है ये बुझाने से .

तुम्हें न पाना शायद बेहतर है ,
पा के फिर से तुम्हें गंवाने से .

चलो एक दुआ तो अपनी पूरी हुए ,
मिल लिए अपने एक दीवाने से .

रोये जाते हो , बस रोये जाते हो ,
क्या होगा ये धन लुटाने से .

करो कोशिश की कुर्बतें ही रहे ,
दूरियां बढ़ जाती हैं बढ़ने से .

क्या सुनाएं किसी को राज़ -ऐ -दिल ,
दर्द भी बढ़ता है सुनाने से .



आज हमारे एक मित्र अफरोज (भाई जान ) ने बहुत ही सुंदर सी नज्म हमें भेजा | और हमने इसे यहाँ आप सभी के पढने के लिए पोस्ट कर दिया |