Saturday, January 3, 2009

ये झिझक क्यूँ ?

ये झिझक भी बड़ी अजीब चीज़ होती है....करे या ना करे ? कहे या ना कहे ? जाए या ना जाए ? पूछे या ना पूछे ? बड़ी अजीब है ये झिझक ....क्यूँ होती है ये जिझक मुझे आज तक समझ में नहीं आया |

अब ये ही देखिये ....जुम्मा जुम्मा एक महीने हुए हैं ब्लॉगिंग करते हुए इसलिए कह सकते हैं की मैं अभी शिशुअवस्था में हूँ ..जब कभी मैं किसी अच्छे पोस्ट को पढता था या किसी अच्छे लेख को पढ़ता था तो बिल्कुल निरुत्तर हो जाता था...समझ में नहीं आता था की मैं इसपर क्या टिप्पिनी करूँ ? जो भी सोचता था वो लगता था की ये छोटी मुंह बड़ी बात हो जायेगी ...एक झिझक सी रहती थी.....एक झिझक की रचनाकार क्या सोचेंगे ? जुम्मा जुम्मा ५ दिन से ब्लॉग लिख रहा है और चला टिप्पिनी करने ....अगर यूँ देखा जाए तो टिप्पिन्नी करना काफ़ी आसान भी है और काफ़ी मुश्किल भी....

काफ़ी आसान इसलिए की कोई भी लेख हो या कविता हो आप ये तो कह ही सकते हैं..." अच्छा लिखा आपने ...या बहुत सही कहा आपने या इसी से मिलता जुलता कुछ भी " ...लेकिन ऐसी टिप्पिन्नी तब जब आप सिर्फ़ अपने ब्लॉग का प्रचार करने के लिए वहां पर टिप्पिया रहे हों...मेरा भी मन करता था यार चलो टिप्पिया दो क्या जाता है.....लेकिन एक अजीब सा अपराधबोध जैसा महसूस होने लगता है इसलिए मैं वहां टिप्पिन्नी ही नही करता हूँ .... लगता है की कुछ उल्टा पुल्टा लिख दिया तो लोग कहेंगे "छोटी मुंह बड़ी बात " | हाँ जहाँ लगा की मैं चुप नहीं रह सकता वहां मैंने जरुर टिप्पिनी की या उस विषय पर अपने ब्लॉग पर अपने विचार व्यक्त किए....

सवाल ये नही है की मैं ब्लॉग पर टिप्पिन्नी करने से क्यूँ डरता हूँ? सवाल ये है की ये झिझक क्यूँ होती है? इस झिझक से हम अपने निजी जिंदगी में भी परेशान रहते हैं......कुछ बुरा करने में झिझक हो तो समझ में आता है लकिन कुछ अच्छा करने में किस बात की जिझक.........वैसे मैं अपनी निजी जिंदगी में कभी नही जिझकता ...जो मन में आए बिंदास होके करता हूँ.....और मैं समझता हूँ की ये झिझक हमें जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकती है.......

जिझक बहुत कुछ आपके आपके घर के माहौल पर निर्भर करता है या यूँ कहे की आपको introvert , extrovert , या ambivert बनाता है.......लेकिन ये झिझक बहुत बुरी चीज़ है....

क्लास में जवाब देने में झिझक ....
सवाल पूछने में झिझक ........
जवाब देने में झिझक की कहीं ग़लत हो गया तो और लोग क्या सोचेंगे .....
किसी अनजान आदमी से बात करने में जिझक ....

और भी बहुत प्रकार के झिझक हैं जो हम में से कभी न कभी कहीं न कहीं जरुर महसूस किए होंगे ....

चलिए आप लोग भी अपने विचार बिना झिझक के हमें बताएं.........