शनिवार तथा रविवार कैसे बीत जाता है पता ही नही चलता | ५ दिन १२-१४ घंटे काम करने के बाद बस ये ही दो दिन कुछ आराम के होते थे | आज भी माँ बोलती हैं " बेटा प्राइवेट जॉब छोड़कर सारकारी जॉब कर लो " | लेकिन नही हम निराबुद्धू अब भी यही समझते हैं की प्राइवेट जॉब में जयादा पैसा है | लकिन छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद वो भ्रम भी जाता रहा | खैर मैं जिस फिल्ड में हूँ सरकारी नौकरी काफ़ी कम है उसमे | ये सब तो चलता रहता है | सरकारी नौकरी करने से कम से कम पापा मम्मी के साथ तो रहता | अरे कहाँ मैं पहेली बुझाने आया था और मैं क्या से क्या लिखने लगा |
जरा इस ख्स्तेहाल पड़े किला पर नज़र दौरायें और हमें बताएं ये कहाँ पर है | और अगर जानकारी दे तो और भी उतम | तो चलिए आपका समय शुरू होता है अब |
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
10 hours ago