ये कविता मैंने तब लिखी थी जब जीवन से काफ़ी उदास था..समझ में नही आ रहा था की अब मैं क्या करूँ ..खैर वक्त बहुत बड़ा मलहम होता है ..चलिए आपलोग कविता पढ़ें और हमें जरुर बताएं आपलोगों को कैसी लगी
काश हम इश्क ही ना करते
ना करते किसी से प्यार
ना होती आँखों से नींद गायब
ना होती जेहन में उनकी याद ..
वो तो चले गए दामन छुरा कर
सारी खुशियों को समेटकर
सारे सपनो को छोरकर
सारे रिश्ते को तोड़कर
आलम अब है ये अपने जीवन की
बंद गली में रास्ता ढूँढ रहा
न जाने किधर बढ़ा जा रहा
अब भी शायद किसी की बाठ जोह रहा
ये मन है की नही मानता
पर ये दिल है सब जानता
मन का क्या यूँ ही तड़पेंगे
आस लगा के यूँ ही रोयेंगे
ए मन एक बार दिल से तो पूछ ले
अकेला चला जा रहा एक बार पीछे तो देख ले
ना कर उनको याद , ना कर किसी से फरियाद ...
मान ले दिल की बात और हो जा दिल के साथ ...
संगम में भटका भल्लू
3 days ago
5 comments:
बहुत अच्छे!
मन के भावों को दर्शाती सुंदर कविता
बढ़िया है जी यह
इश्क करने वालो के साथ पता नही हमेशा ऐसा ही क्यूँ होता है.
बिल्कुल ऐसा ही हाल यहाँ भी है.
मुझे पता है दिल टूटने पर कैसा दर्द होता है. पर उसको ये अहसास नही होता. पर हम अभी भी उसको वैसा ही प्यार करते हैं. उम्मीद है एक दिन उसको भी अहसास हो जाएगा हमारे प्यार का.
dil ki kalam se nikle alfaaz bahuthi sundar.
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