तभी कुछ सरसराहट सी हुई...लगा की कोई हमारे दरवाज़े की तरफ़ आ रहा है...मै सतर्क हो गया..वो आवाज़ और पास आती गयी......मेरे दोस्त जो की दूसरे कमरे मे थे उन्हे ये सुनायी दे रहा था की नहीं मुझे कोई जानकारी नही थी....वो आवाज़ बिल्कुल पास आ गयी थी.... लगा की दरवाज़े के पास आके कोई रुका हुआ है....
बात उन दिनो की है जब मैं दिल्ली मैं था..करीब २ साल हो चुके थे दिल्ली मे..मुझे शुरु से ही दिल्ली काफ़ी अच्छी लगी थी..सबसे मस्त तो मुझे यहां की सर्दी लगती थी..और वो समय भी सर्दी का ही था..हम पांच दोस्त साथ मे रह्ते थे...हमने एक नया flat किराये पर लिया था...और अभी मुश्किल से २ से ३ सप्ताह हुए थे इसमे आये हुए....कुछ अजीब सा लग तो रहा था पर हमने कभी उतना ध्यान नहीं दिया था...
लेकिन पिछ्ले २-३ दिनो से कोइ रात मे आकर हमारे दरवाजे पर दस्तक देता और जब हम दरवाजा खोल कर बाहर आते तो कोइ नहीं दिखाइ देता....पहले तो हमें लगा कि बगल वाले flat के बच्चे शरारत कर रहे हैं...पर सवाल यह था कि इतनी रात गये भला वो क्युं परेशान करेगें...हमारे appartment मे कुल १२ flat थे....हमने सोचा कि उन्हीं मे से कोइ परेशान कर रहा होगा....इसलिये हमने २-३ दिनो तक इसपर ध्यान नहीं दिया...लकिन जब ये रोज कि बात हो गयी तब हमे लगा कि अब तो कुछ करना परेगा...और हमने रात भर जगने का निश्च्य किया...
हमारे flat की बनावट कुछ इस तरह थी की....हमारे flat के २ रूम के दरवाज़े बाहर बरामदे मे खुलते थे..लेकिन दस्तक हमेशा एक ही दरवाज़े पर होता था...इसलिय हम ३ लोग दुसरे कमरे मे चले गये और बाकी २ लोग दस्तक वाले कमरे मे चले गये.....हमारा इरादा यह था कि जब दस्तक होगी तब दूसरे कमरे से लोग निकल कर उसे धर दबोचेंगे.....
रात के ११ बजे ....अभी तक कुछ नहीं हुआ था....बाहर रात की कालिमा फैली हुई थी...दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था...बीच बीच मे कुत्ते की भौकने की आवाज़ सुनायी देती थी.....हम सभी चुपचाप दरवाज़े से चिपक कर बैठे हुए थे.....और दस्तक होने का इन्तेज़ार कर रहे थे.....
क्रमश:
2 comments:
ARE! MAIN TO DAR GYA JANAB. NARAYAN NARAYAN
आगे भाई आगे..
कल रात मेरे सोने के बाद लिखे हो लगता है.. सही है.. :)
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