कुछ सवाल यूँ ही ना जाने कहाँ से घुमक्कड़ की तरह मन में आकर बैचेन से कर जाते है....ना तो आप उन्हें निकाल पाते है और ना ही आप उन सवालों से सहज हो पाते हैं....कुछ यादें कभी भी किसी भी कोने से झाँक कर चली जाती है , और पीछे छोड़ जाती है , अनसुलझे सवाल .....
यादों के पुलिंदों में अक्सर मैं उलझ जाता हूँ और हमेशा की तरह किसी साख के दरख्त पर अपने आपको अकेला महसूस करता हूँ....और फिर कुछ पंक्तियों को सहेजकर उसे अपनी मनोव्यथा के अनुसार आकृति देने की कोशिश करने लगता हूँ...
कुछ तो दुनिया के इनायत ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे और आसू ना बहे,
इश्क की ऐसी रवायत ने दिल तोड़ दिया ,
वो मेरे हैं मुझे मिल जायेंगे , आ जायेंगे
ऐसे बेकार खयालात ने दिल तोड़ दिया ,
आपको प्यार था मुझसे , की नही था मुझसे ,
जाने क्यूँ ऐसी सवालात ने दिल तोड़ दिया...
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
15 hours ago
5 comments:
bahut khub likha hai...
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
regards
acha likha hai. happy new year
अमित जी छोडिये बीती बातें नववर्ष आपको आगे बढ्ने के लिये बुला रहा है नया साल मुबारक
बहुत बढ़िया लिखा है आपने .......आप तथा आपके पूरे परिवार को आने वाले वर्ष २००९ की मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाये !
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