पूछ लो तुम भी इस ज़माने से ,
प्यार छुपता नहीं छुपाने से
प्यार दिल में है तो लाओ ज़बान पे ,
आग बढती है ये बुझाने से .
तुम्हें न पाना शायद बेहतर है ,
पा के फिर से तुम्हें गंवाने से .
चलो एक दुआ तो अपनी पूरी हुए ,
मिल लिए अपने एक दीवाने से .
रोये जाते हो , बस रोये जाते हो ,
क्या होगा ये धन लुटाने से .
करो कोशिश की कुर्बतें ही रहे ,
दूरियां बढ़ जाती हैं बढ़ने से .
क्या सुनाएं किसी को राज़ -ऐ -दिल ,
दर्द भी बढ़ता है सुनाने से .
आज हमारे एक मित्र अफरोज (भाई जान ) ने बहुत ही सुंदर सी नज्म हमें भेजा | और हमने इसे यहाँ आप सभी के पढने के लिए पोस्ट कर दिया |
16 comments:
तुम्हें न पाना शायद बेहतर है ,
पा के फिर से तुम्हें गंवाने से .
" दिल खुश हो गया इतनी सुंदर नज़्म से......ये पंक्ति कुछ खास है क्यूंकि इसमे डर और दर्द दोनों ही का संगम है ...अफरोज जी और आप का शुक्रिया "
Regards
बहुत लाजवाब रचना. अफ़रोज जी और आपको धन्यवाद.
रामराम.
bahut badhiya rachna.
आपका और आपके मित्र का शुक्रिया करना चाहिए जो इतनी सुंदर नज्म पढने को मिली ।
sach behtarin har sher lajawaab,bahut badhai afroz ji ko aur aapka shukran itani khubsurat nazm padhwane vaste.
दर्द भी बढ़ता है सुनाने से - बहुत सुंदर. हमें पता नहीं था कि ऐसा भी होता है. आभार.
क्या सुनाएं किसी को राज़ -ऐ -दिल ,
दर्द भी बढ़ता है सुनाने से .
आज का सच है। शुक्रिया पढवाने का।
बेहतरीन। भाई अफरोज और आपका शुक्रिया।
Behtreen gazal hai
बहुत सुंदर रचना...
बहुत बहुत धन्यवाद इसे पढवने का, बहुत सुंदर लगा,
आपका और आपके मित्र का शुक्रिया .....
सुंदर नज्म पढने को मिली, पोस्ट पर जो चित्र लगया है उसने तो इस नज्म में चार चाँद लगा देये है.
Very nice poem Amit sahab
क्या सुनाएं किसी को राज़ -ऐ -दिल ,
दर्द भी बढ़ता है सुनाने से .
sahi hai har vakt ek aur baar dastan sunate vakt..par ye jalim jamane ko bhi is ko kuredane me hi maja aata hai
Amit bhai, Can you say who has written this beautiful poem? I want to publish it on my blog too.
I certainly agree to some points that you have discussed on this post. I appreciate that you have shared some reliable tips on this review.
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